सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था,
तुम मुझे खून दो,
मै तुम्हें आजादी दूंगा।
आज मच्छर कह रहा है,
तुम मुझे खून दो
मैं अपना पेट भरूंगा।

सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था,
तुम मुझे खून दो,
मै तुम्हें आजादी दूंगा।
आज मच्छर कह रहा है,
तुम मुझे खून दो
मैं अपना पेट भरूंगा।
तन्हाई में अक्सर हमसे
बात हमारी होती है।
हर सपने की आंख में आंसू,
हर इक ख्वाहिश रोती है।।
दीवाली में दीप जले जब,
अँधियारा तब जाये हार,
घृर्णा-घृर्णा की धुंध छटे
बिखरे चारो ओर ही प्यार।
इक दिन ऐसा दीप जलेगा, मुझको यह विश्वास है,
कैसी है अनबूझ पहेली, कैसी अनमिट प्यास है
पीड़ा की परिभाषा मुस्कान से पूछोगे,
तो लोग हँसेंगे ही।
निर्धन की व्यथा जाकर धनवान से पूछोगे,
तो लोग हँसेंगे ही।।
हम हारे जुआरी, हम अद्भुत भिखारी,
है झूठी सी पूजा, हम झूठे पुजारी।
फूलों से इतना डरे, चले शूल ढूँढ़ने।
शाखाये सम्भली नहीं, चले मूल ढूँढ़ने।।
तुमको घुँघरू के स्वर में संगीत सुनाई देता है,
लेकिन जख्मी पाँव कहानी मुझको अलग सुनाते हैं।
सुख पल हैं कुछ दिन,पर ये भी आखिर बीतेंगे ही,
दिन आखिर दिन ही तो ठहरे, यूँ ही आते-जाते हैं।
दीन-हीन भूख है,रोटी के तेवर हैं,
साँस-साँस गिरवी है,वहाँ नये जेवर हैं।
कौन सी तिजोरी में वह हिंदुस्तान है
जिसको सब कहते हैं भारत महान है।।
कुछ पल की हमें फुरसत दे दो
पल भर कुछ सांसो कुछ सांसे ले लेने दो
अब जियो और जी लेने दो
तन से सुकून की तन्हाई में रहने दो
तन्हा दिल था मेरा फुरसत में थोड़ा अंगराई तो ले लेने दो
शिक्षक वो जो हमें पढ़ाते
हमको तो इन्शा है बनाते
कुछ बातें हम कह जाते
बहुत कुछ बातें वो कह जाते
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर
पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर
नाचूँगा लेकर प्याला;
जीवन की मधुता तो तेरे
ऊपर कब का वार चुका
आज निछावर कर दूंगा मैं
तुझ पर जग की मधुशाला।