सफलता वो ढूंढन जब चला
सफलता न मिलया कोय
मन की सफलता प्राप्त हो
जो तीन रूप में होय
सुख, शान्ति, समृद्धि
Category: Motivational Poem
लिखा गया कुछ,उसे पढ़ा गया कुछ,
निराकार माटी को गढ़ा गया कुछ,
विस्तृत वितानों का छोटा ह्रदय,
सारे फकीरों को लूटने का भय।
गढ़ी कथा मैने भी स्वार्थ की,
दुनिया अलग है यथार्थ की।
सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था,
तुम मुझे खून दो,
मै तुम्हें आजादी दूंगा।
आज मच्छर कह रहा है,
तुम मुझे खून दो
मैं अपना पेट भरूंगा।
तन्हाई में अक्सर हमसे
बात हमारी होती है।
हर सपने की आंख में आंसू,
हर इक ख्वाहिश रोती है।।
दीवाली में दीप जले जब,
अँधियारा तब जाये हार,
घृर्णा-घृर्णा की धुंध छटे
बिखरे चारो ओर ही प्यार।
इक दिन ऐसा दीप जलेगा, मुझको यह विश्वास है,
कैसी है अनबूझ पहेली, कैसी अनमिट प्यास है
पीड़ा की परिभाषा मुस्कान से पूछोगे,
तो लोग हँसेंगे ही।
निर्धन की व्यथा जाकर धनवान से पूछोगे,
तो लोग हँसेंगे ही।।
हम हारे जुआरी, हम अद्भुत भिखारी,
है झूठी सी पूजा, हम झूठे पुजारी।
फूलों से इतना डरे, चले शूल ढूँढ़ने।
शाखाये सम्भली नहीं, चले मूल ढूँढ़ने।।
तुमको घुँघरू के स्वर में संगीत सुनाई देता है,
लेकिन जख्मी पाँव कहानी मुझको अलग सुनाते हैं।
सुख पल हैं कुछ दिन,पर ये भी आखिर बीतेंगे ही,
दिन आखिर दिन ही तो ठहरे, यूँ ही आते-जाते हैं।
दीन-हीन भूख है,रोटी के तेवर हैं,
साँस-साँस गिरवी है,वहाँ नये जेवर हैं।
कौन सी तिजोरी में वह हिंदुस्तान है
जिसको सब कहते हैं भारत महान है।।
कुछ पल की हमें फुरसत दे दो
पल भर कुछ सांसो कुछ सांसे ले लेने दो
अब जियो और जी लेने दो
तन से सुकून की तन्हाई में रहने दो
तन्हा दिल था मेरा फुरसत में थोड़ा अंगराई तो ले लेने दो