शिक्षक वो जो हमें पढ़ाते
हमको तो इन्शा है बनाते
कुछ बातें हम कह जाते
बहुत कुछ बातें वो कह जाते
Category: Motivational Poem
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर
पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर
नाचूँगा लेकर प्याला;
जीवन की मधुता तो तेरे
ऊपर कब का वार चुका
आज निछावर कर दूंगा मैं
तुझ पर जग की मधुशाला।
-वर्ड इकोनॉमिक फोरम यानी विश्व आर्थिक मंच 1971 में शुरू हुआ था। इसका मुख्यालय स्विटज़रलैंड में है।
-ये संस्था दुनिया के हालात में सुधार लाने के लिये प्रतिबद्ध है। ये फोरम खुद को पब्लिक-प्राइवेट कोआपरेशन यानी सरकार और निजी छेत्र की भागीदारी का अंतरास्ट्रीय संगठन बताता है।
हर रोज़ हर किसी के दिमाग का दरवाजा खटखटाती
आदत में शामिल हो जाती
एक गरम चाय की प्याली
लोग समझ नहीं पाते
भूख उनकी मिट जाती
एक गरम चाय की प्याली
लच्छ रहे निर्धारित मेरे
साछय बनकर खड़े सामने
परिस्थिति कुछ ऐसी बन बैठी
स्थिति कुछ ऐसी बन बैठी
लछ्य की अब वो स्थिति है
परिस्थिति कुछ ऐसी है
जिंदगी कल हो जाएगी हमसे दूर
क्यों न आज में जियो भरपूर
फिर मौका ए दस्तूर नहीं पायेंगे
हो जायेगा समय फितूर
कल का नहीं पता क्या होगा
क्यों सोच के आज रहें परेशान भरपूर
जिंदगी….
सफलता वो ढुढन जब चला
सफलता ना मिलया कोय
मन की सफलता प्राप्त हो
जो तीन रूप में होय
सुख,शांति,समृद्धि
सूरज की वो रोशनी धुप दिखाती जाती है
पर ठण्ड के कोहरे की मात वो भी खाती है।
लेकिन फिर भी हराती है कोहरे को
हर पल हराती जाती है
हर रोज सूरज उगता है
पर कोहरे के लपटों के कारण किसी को नहीं वो दिखता है।
फिर भी वो उगता है और
खुद से आशा करता है।
एक दिन दिखेगा वो उस वन में
जिसमे प्रयास उसके उगने के सफल हो जाते
हौसला है तुम्हारे पास
हौसला है हमारे पास
हम इसे बुलंद करें
तो आगे बड़ेगी हमारी आस
इतना अगर करें काम
तो समझलेना
सफलता है हमारे पास
हौसलों में है दम
तो कुछ कर लेंगे हम।
चाहे कोई भी परिस्थिति आये
हर परिस्थिति से लड़ लेंगे हम।
होगा कभी गम
तो उसमे भी खुशिया ढूढ लेंगे हम।
वो जिंदगी जो चाहे जी लेंगे हम
वो जिंदगी जो चाहे जी लेंगे हम।