उम्मीद की किरण नजर आती नहीं

जब रास्ता कोई दिखलाता नहीं।

पीछे छूट गया  जो रास्ता

उसे  पीछे मुड़कर देखा जाता नहीं।

आता नहीं है मुझको कुछ भी

फिर भी पथ पर आगे  बढ़ता रहता

कभी न रुकता चलता रहता।

क्या रखा है भूतकाल  मे

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जब कोई परिवर्तन किसी में ढूढता है।

कितना भी सोचो कुछ न कुछ तो छूटता है।

वो दोस्ती टूटती है।

वो रिस्ता छूटता है।

जब दर्द का चिराग लेकर मुझमे हर कोई विश्वास ढूढता है।

जिंदगी बदल जाएगी।

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