सूरज की वो रोशनी धुप दिखाती जाती है
पर ठण्ड के कोहरे की मात वो भी खाती है।
लेकिन फिर भी हराती है कोहरे को
हर पल हराती जाती है
हर रोज सूरज उगता है
पर कोहरे के लपटों के कारण किसी को नहीं वो दिखता है।
फिर भी वो उगता है और
खुद से आशा करता है।
एक दिन दिखेगा वो उस वन में
जिसमे प्रयास उसके उगने के सफल हो जाते
खुद को दिखाने को रोशनी छलका कर बादल छाट देता है।
ठण्ड से बचाने को रोशनी फैलाता है
सूरज ही वो सूरज है जो ठण्ड के कोहरे को मात देकर आता है
नहीं किसी का बस है चलता
रजाई में दुबके दिन है ढलता
कोहरे की मार सब पे परती है
जब दिन को रात और रात दिन को बदलता है
कोहरा ही वो कोहरा है जो सबके परेशानी का मोहरा है।
सतरंज की चाल चलकर के बस मौसम में ही बह रहा है।
इसी हवाओ के बहने से तो ठंडी अपना अहसास दिलाती है
कि आ गई हैं वो ठंडी जिस ठण्ड को अपने दुहाई दी
पेड़ काट-काट कर के आपने ठंडी की विदाई की
मौसम की मार को झेलकर के हमने भी खुद को परोसा है
प्रकृति की इस दुनिया में आपने नहीं हमने भी किया बसेरा है
पर सूरज की किरणों से मै बाल -बाल नहीं बच पाती
उसकी तेज रोशनी से जलकर राख हो जाती हूँ।
फिर भी सूरज की वो रोशनी धुप दिखती जाती है
पर ठण्ड के कोहरो की मात वो भी खाती है।
kOHARE Ko Maat
Suraj Ki Wo Roshani Dhup Dikhaty Jaty Hai
Per Thand Ke Kohare Ko Maat Wo Bhi Khaty Hai
Lekin Phir Bhi Haraty Hai Kohare Ko
Her Pal Haraty Hai Kohare
Her Roj Suraj Uagata Hai
Per Kohare Ke Lapato Ke Karan Kisi Ko Nahi Wo Dikhaty Hai
Phir Bhi Wo Ugata Hai Aur
Khud Se Asha Karata Hai
Ak Din Dikhega Wo Us Van Me Jisame Prayas Usake Ugane Ke Safal Ho Jate
Khud Ko Dikhane Ko Roshani Chhalakar Badal Chhat Deta Hai
Thand Se Bachane ko Roshani Failata Hai
Suraj H Wo Suraj Hai jo Thand Ko Maat Dekar Ata Hai
Nahi Kisi Ka Bus Hai Chalata
Rajai Me Dubake Din Hai Dalata
Kohare Ki Maar Sub Pe Padaty Hai
Jub Din Ko Raat Aur Raat Din Ko Badalta Hai
Kohara H Wo Kohara H Jo Sabake Pareshani Ka Mohara Hai
Satranj Ki Chaal Chalkar Ke Bus Mausam Me H Baha Raha H