हम हारे जुआरी, हम अद्भुत भिखारी,
है झूठी सी पूजा, हम झूठे पुजारी।
फूलों से इतना डरे, चले शूल ढूँढ़ने।
शाखाये सम्भली नहीं, चले मूल ढूँढ़ने।।
हम हारे जुआरी, हम अद्भुत भिखारी,
है झूठी सी पूजा, हम झूठे पुजारी।
फूलों से इतना डरे, चले शूल ढूँढ़ने।
शाखाये सम्भली नहीं, चले मूल ढूँढ़ने।।