तू खुद ही सोच के निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल, तेरे रास्ते को
तुझ जैसे राही का इंतजार है
जिस दायरे से सिमट रहा
वो दायरा बढ़ा ले तू
कब तक यूही सिमट सका
उस दायरे से आगे निकल ले तू
बस सम्हल ले तू,
सम्हल ले तू
तू खुद ही सोच के निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल, तेरे रास्ते को
तुझ जैसे रही का इंतजार है
बना के सोच का किनारा
उन किनारो से चल ले तू
तू नित-नित नए-नए द्वीप जला
तेरे आगे है भविष्य खड़ा
तेरे आगे है भविष्य खड़ा
तू खुद ही सोच के निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल, तेरे वास्ते समझा है ये जहाँ
तू जीत की मिशाल है
तू जीत की मिशाल है
अब न रुक तू चल चला चल
समय का कब कहर बरपा
उससे पहले ऊँचाइयों को छू के तू
वापस फिर लौट आ
वापस फिर लौट आ
तू खुद ही सोच के निकल
तू किस लिए हताश है
Tu Khud Hi Soch Ke Nikal
Tu Kis Liye Hatash Hai
Tu Chal Tere Raaste Ko
Tujh Jaise Rahi Ka Intjar Hai
Jis Dayare Se Simat Raha
Wo Dayara Bada Le Tu
Kab Tak Yuhi Simat Saka
Us Dayare Se Age Nikal Le Tu
Bas Samhal Le Tu
Samhal Le Tu
Tu Khud Hi Soch Ke Nikal
Tu Kis Liye Hatash Hai
Tu Chal Tere Raste Ko
Tujh Jaise Rahi Ka Intjar Hai
Bana Ke Soch Ka Kinara
Un Kinaro Se Chal Le Tu
Tu Nit Nit Naye Naye Dwip Jala
Tere Age Hai Bhavishya Khada
Tere Age Hai Bhavishya Khada
Tu Khud Hi Soch Ke Nikal
Tu Kis Liye Hatash Hai
Tu Chal Tere Waste Samajha Hai Ye Jahan
Tu Jeet Ki Mishal Hai
Tu Jeet Ki Mishal Hai
Ab N Ruk Tu Chal Chala Chal
Samay Ka Kab Kahar Barapa
Usase Pahale Unchaiyo Ko Chhu Ke Tu
Wapas Fir Laut Aa
Wapas Fir Laut Aa
Tu Khud Hi Soch Ke Nikal
Tu Kis Liye Hatash Hai