गरबा नृत्य में डांडिया इसलिए खेला जाता है क्योकि इस पर्व में यह माना जाता है कि नौ दिनों तक शाम के समय डांडिया खेलने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है और मनोकामना पूरी करती है|
गरबा का शाब्दिक अर्थ गर्भ द्वीप होता है और इस गर्भ द्वीप को स्री के गर्भ के द्वीप के सृजन की शक्ति कहा जाता है|
गरबा का नृत्य शुरू करने से पहले घड़े में कई छेद करके घड़े में दिया रख कर डांडिया खेलने चारो ओर चक्कर लगाते है यह कार्य डांडिया खेलने से पहले मातारानी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है
गरबा नृत्य करते समय महिलाये तीन तालियां बजाती है तीन तालियां बजाने अर्थ यह होता है कि ब्रह्मः,विष्णु,महेश तीनो भगवान का आह्वान करना है|
इन तीनो तालियों की ध्वनि से जो तेज़ उत्पन्न होता है इस ध्वनि से जो तरंगे उत्पन्न होती है उससे माँ जागृत होती है|
पहले यह नृत्य गुजरात में ही होता था लेकिन गुजरातियों ने इसे बाहर के शहरों में प्रचलित कर दिया और अब तो विदेशो में भी मनाया जाने लगा है|
डंडियां खेलने के लिए ट्रेडिशनल ड्रेसेस ही पहने जाते है और कुछ जगह पास अलाव होता है|
स्टेज पर ग्रुप परफॉरमेंस,लक्की ड्रा कूपन और वहाँ लजीज पकवान भी लगे होते है जिसका आपका लोग आनंद उठा सकते है|
दुर्गा जी की प्रतिमा लगी होती है उसके साथ डीजे,ढोल,नगाड़े के साथ लोग डंडियां के लिए तैयार होते है और नवरात्र का पूरा आनंद उठाते है|