जब मन में हो मौज बहारों की चमकायें चमक सितारों की, जब खुशियों के शुभ घेरे हों

तन्हाई में भी मेले हो, आनंद की आभा होती है उस रोज दीवाली होती है

जब प्रेम के दीपक जलते हों सपने जब सच में बदलते हों,

मन हो मधुरता भावों की जब लहरे फसले चावों की, उत्साह की आभा होती है उस रोज दीवाली होती है।

जब प्रेम से मीत बुलाते हों दुश्मन भी गले लगाते हों,

जब कहीं किसी से बैर न हो सब अपने हों, कोई गैर न हो,

अपनत्व की आभा होती है उस रोज दीवाली होती है।

जब तन मन जीवन सज जायें सदभाव के बाजे बज जाएं,

महकाएं खुशबू खुशियों की मुस्काएं चंदनिया सुधियों की,

तृप्ति की आभा होती है उस रोज दीवाली होती है