निर्जला एकादशी व्रत का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विशेष आदर्श धार्मिक वाणिज्यिक व जनता द्वारा मान्यता प्राप्त है।

निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जिसका मतलब होता है व्रत जून-जुलाई के बीच मनाया जाता है।

'निर्जला' शब्द का अर्थ होता है 'बिना जल के'। इसका तात्पर्य होता है कि इस एकादशी व्रत में भक्त दिनभर भोजन और पानी प्राणियों को छोड़कर रखता है।

निर्जला एकादशी व्रत को करने से भक्त को मुक्ति, धर्म और ध्यान की प्राप्ति होती है। यह व्रत शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि करता है।

निर्जला एकादशी व्रत में भोजन, पानी, तेल, मांस, गोला, धूप, इत्यादि का सेवन करना मना है।

निर्जला एकादशी व्रत में भक्त को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद भक्त को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

निर्जला एकादशी के दिन दान और पुण्य करना विशेष महत्वपूर्ण है।

निर्जला एकादशी के व्रत को तोड़ने के लिए अनाज, फल, दूध और घी की चीजें खानी चाहिए।

निर्जला एकादशी के दिन धार्मिक संगठनों द्वारा सभाएं और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

निर्जला एकादशी के दिन भक्तों को विशेष प्रसाद भी दिया जाता है, जैसे कि फल, चूर्ण, पंजीरा आदि।