1-कब तक मुँह से बोलते हो
2-कोहरे को मात
3-बेरोजगारी
4-सपना
1-कब तक मुँह से बोलते हो
2-कोहरे को मात
3-बेरोजगारी
4-सपना
आओ प्यारे साथ हमारे
जनसेवा हित साँझ सकारे।
सम्यक संचय और निवेशन
जन-जन का ही हित संवर्धन
निगम नीति का उच्च लछ्य है
व्यक्ति और परिवारोत्थान।
एक-एक पल बीता, एक-एक दिन बीत गये,
मास गये पल-पल कर औ’ कुछ साल गये,
कितने सूरज जन्मे और बड़े होकर
अपनी रक्तिम किरणे जग को दिया किये।
कितने सूरज उदित हुए फिर अस्त हुए;
अंतर के स्वर को दाबे सा मौन-मौन
लेकिन प्रश्न एक है,अब भी वहीं खड़ा,
कही किसी का शोर शराबा
कहीं किसी ने चुप्पी साधी
बस एक आंसू छलका दे तू
आंसू भी पैसे कमा के देती है