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सूरज की किरणों को आगे बढ़ते देखा है,

प्रकृति की सुन्दरता को जीते देखा है।

बादलों के साथ खेलते खुशी से देखा है,

बरसात के बाद नयी दुनिया में बढ़ते देखा है।

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कुछ सर्ग कामायनी जैसे फिर से धरती पर उतर गये,
फिर से जल प्लावन दृश्य पुराने इसी धरा पर उभर गये।
सम्बन्ध श्वास के औ’ तन के फिर से मन को तड़पाएँगे,
फिर से पुरवाई आयेगी, पर वे दिन लौट न पाएंगे।

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कुछ मिलता, कुछ खो जाता है,
जगे कोई, कोई सो जाता है,
छीन अगर लेता है कुछ युग,
जीवन कुछ तो दे जाता है।
जीत-हार के जैसी थी।
नटखट बचपन,चंचल यौवन,दुःखी बुढ़ापे जैसी थी।

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हौसलों में है दम

तो कुछ कर लेंगे हम।

चाहे कोई भी परिस्थिति आये

हर परिस्थिति से लड़ लेंगे हम।

होगा कभी गम

तो उसमे भी खुशिया ढूढ लेंगे हम। 

वो जिंदगी जो चाहे जी लेंगे हम 

वो जिंदगी जो चाहे जी लेंगे हम। 

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