children, children playing, children's
children, kids, childhood
best poem for kids

डगर उमर की कैसी थी ?
नटखट बचपन,चंचल यौवन,दुःखी बुढ़ापे जैसी थी।

कुछ मिलता, कुछ खो जाता है,
जगे कोई, कोई सो जाता है,
छीन अगर लेता है कुछ युग,
जीवन कुछ तो दे जाता है।
जीत-हार के जैसी थी।
नटखट बचपन,चंचल यौवन,दुःखी बुढ़ापे जैसी थी।

स्वर्णिम कुंदन,हरित वो सावन,
दुःखी मृत्यु आनन्दित जीवन,
जगी सुबह,अलसायी निंदिया,
कृष्ण अंधेरा, उजली पूनम,
धूप छाव के जैसी थी।
नटखट बचपन,चंचल यौवन,दुःखी बुढ़ापे जैसी थी।

बनते कुछ रिश्ते अनजाने,
अपने बन जाते बेगाने,
आँख चुराते दुःख के दिन में,
ऐसे भी हैं बड़े घराने।
दूर-पास के जैसी थी।
नटखट बचपन,चंचल यौवन,दुःखी बुढ़ापे जैसी थी।

Related Posts

Exit mobile version