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Odisha Train Accident Par Hindi Kavita

Odisha Train Accident par hindi kavita


विश्राम करती थी नींद की रात,

जगा दिया सपनों का विशाल सम्राट।

ओड़िशा की प्रशांत सी रेलगाड़ी,

यात्री लिए सभी, हंसी खेली ताड़ी।

फूलों की बहार, रंगी हुई यात्रा,

खुशियों की बौछार, उमंगों की थियात्रा।

अचानक टेढ़ी रेलगाड़ी धक्का,

दुःख की आग बढ़ी रही हर एक सेका।

दिखा उजागर स्वर्णिम सपनों का अंधकार,

जगाए अफसोस का गहरा दर्द, जीवन का बेअसार।

चिढ़ते सपने टूट गए रेलके खंड,

छलक गई आंखों से खून की नदी बड़ी महान।

पीड़ा के तूफ़ान ने छिन्न-भिन्न कर दिया,

शोक और आंसूओं ने मन को जला दिया।

अब बस बह गई है सबकी आहट,

क्या करें अब, ये है हमारी आपदा की रात।

दूर हो गए सपनों के सम्राट,

मिले हमें शोक के दरिया में तराश्वर्त।

यात्री हो या चालक, सबकी हुई विलाप,

बच गईं कुछ बेटियाँ, तो टूट गएं कई घर।

और उम्मीदों की डोर,

लगी थी उनकी ज़िंदगी में सबसे प्यार।

लेकिन दुर्घटना ने छीन ली सबकी नींद,

हाथों से फिसल गए सपनों के संगीन।

गहरे शोक की घेरावट घिरी जहां,

उम्मीद की किरणें पलकों से बह गईं।

अपनों की विदाई थी वहाँ ट्रेन में,

आँखों में आंसू, दिल में दर्द छाएं।

ओड़िशा के ट्रैन दुर्घटना में,

कई बच्चे खो गए अपने माता-पिता की आंखों में।

दरिद्रता की लड़ाई को भीड़ की भीड़ ने हरा दिया,

जगा दिया लोगों में अपनों की यादें बसा दिया।

हमारी कविता लगे ये अदृश्य संगीत,

ओड़िशा की रेलगाड़ी की है ये विरह रचित।

आशा है दुखी मनों को ये भावनात्मक रचना,

थोड़ी सी सहायता देगी दिल को शांति की अभिलाषा।

हम सब मिलकर देंगे शान्ति का प्रतीक,

ओड़िशा के दुखी लोगों के लिए ये होगी उपहार कविता।

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