सूरज की वो रोशनी धुप दिखाती जाती है
पर ठण्ड के कोहरे की मात वो भी खाती है।
लेकिन फिर भी हराती है कोहरे को
हर पल हराती जाती है
हर रोज सूरज उगता है
पर कोहरे के लपटों के कारण किसी को नहीं वो दिखता है।
फिर भी वो उगता है और
खुद से आशा करता है।
एक दिन दिखेगा वो उस वन में
जिसमे प्रयास उसके उगने के सफल हो जाते

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हौसलों में है दम

तो कुछ कर लेंगे हम।

चाहे कोई भी परिस्थिति आये

हर परिस्थिति से लड़ लेंगे हम।

होगा कभी गम

तो उसमे भी खुशिया ढूढ लेंगे हम। 

वो जिंदगी जो चाहे जी लेंगे हम 

वो जिंदगी जो चाहे जी लेंगे हम। 

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उम्मीद की किरण नजर आती नहीं

जब रास्ता कोई दिखलाता नहीं।

पीछे छूट गया  जो रास्ता

उसे  पीछे मुड़कर देखा जाता नहीं।

आता नहीं है मुझको कुछ भी

फिर भी पथ पर आगे  बढ़ता रहता

कभी न रुकता चलता रहता।

क्या रखा है भूतकाल  मे

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जब कोई परिवर्तन किसी में ढूढता है।

कितना भी सोचो कुछ न कुछ तो छूटता है।

वो दोस्ती टूटती है।

वो रिस्ता छूटता है।

जब दर्द का चिराग लेकर मुझमे हर कोई विश्वास ढूढता है।

जिंदगी बदल जाएगी।

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