हर रोज़ हर किसी के दिमाग का दरवाजा खटखटाती
आदत में शामिल हो जाती
एक गरम चाय की प्याली
लोग समझ नहीं पाते
भूख उनकी मिट जाती
एक गरम चाय की प्याली
हर रोज़ हर किसी के दिमाग का दरवाजा खटखटाती
आदत में शामिल हो जाती
एक गरम चाय की प्याली
लोग समझ नहीं पाते
भूख उनकी मिट जाती
एक गरम चाय की प्याली
कच्ची डोरियों,डोरियों,डोरियों से
मैनु तू बांध ले
पक्की यारियों यारियों यारियों में
होंदे ना फासले
ये नाराजगी कागजी सारी तेरी
मेरे सोरेया सुन ले मेरी
दिल दियां गल्लां
करांगे नाल नाल बह के
अक्ख नाले अक्ख नू मिला के
लच्छ रहे निर्धारित मेरे
साछय बनकर खड़े सामने
परिस्थिति कुछ ऐसी बन बैठी
स्थिति कुछ ऐसी बन बैठी
लछ्य की अब वो स्थिति है
परिस्थिति कुछ ऐसी है