हर रोज़ हर किसी के दिमाग का दरवाजा खटखटाती
आदत में शामिल हो जाती
एक गरम चाय की प्याली
लोग समझ नहीं पाते
भूख उनकी मिट जाती
एक गरम चाय की प्याली
पर फिर भी लोग मांगते नहीं थकते वो पानी
अब भले ना मिले उतना पानी
जीतनी चाय की चुस्की रोज भाती
मन को तारो-ताज़ा कर जाती
एक गरम चाय की प्याली
मन तो तारो-ताज़ा हो जाता
हर रोज ताज़गी ले आती
उसके साथ दिन भर की सुस्ती भी लाती
एक गरम चाय की प्याली
Har Roj Har Kisi Ke Dimag Ka Darwaja Khatkhataty
Audat Me Shamil Ho Jaty
Ak Garam Chay Ki Pyali
Log Samajh Nahi Pate
Bhukh Unki Mit Jaty
Ak Garam Chai Ki Pyali
Par Phir Log Mangate Nahi Thakate Wo Pani
Ab Bhale N Mile Utna Pani
Jitana Chai Ki Chuski Roj Bhaty
Man Ko Taro Taza Kar Jaty
Har Roj Tazagi Le Aty
Usake Sath Dinbhar Ki Susty Bhi Laty
Ak Garam Chai Ki Pyali