घर से निकले अगर हम बहक जायेंगे
वो गुलाबी कटोरे छलक जायेंगे
दुश्मनी का सफर इक कदम दो कदम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जायेंगे
नाम पानी पे लिखने से क्या फायदा
लिखते लिखते तेरे हाथ थक जायेंगे
ये परिन्दे भी खेतों के मजदूर हैं
लौट के अपने घर शाम तक जायेंगे
दिन में परियों की कोई कहानी न सुन
जंगलो में मुसाफिर भटक जायेंगे
मेरा उससे वादा था घर रहने का
अपनी छत के नीचे दुःख सुख सहने का
बारिश बारिश कच्ची कब्र का घुलना है
ज्नां लेवा अहसास अकेले रहने का
अबके आंसू आँखों से दिल में उतरे
रुख बदला दरिया ने कैसा बहने का
हिज्रो-विसाल के किस्से सारे झूठे है
हक़ मिलता है किसको अपना कहने का
जगमग जगमग हीरे जैसी आँखों में
एक अजीब गुबार हवेली ढहने का