आखिरकार लम्बे इन्तजार के बाद वह दिन आ ही गया| जब अयोध्या की Ram Mandir की प्राण प्रतिष्ठा का पुरे देश वाशियो को इन्तजार था| इस दिन एक ऐसा विशेष दिन जब भगवान राम का जन्म हुआ था| इसी दिन को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन बनाया गया| जिसकी प्राण प्रतिष्ठा को पुरे विधि-विधान से प्रधानमंत्री द्वारा संपन्न कराया गया|
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पूरी
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सोमवार 22 जनवरी को 84 सेकंड के शुभ मुहूर्त में शुरू हुआ| जो पुरे विधि-विधान के साथ राम मूर्ति को बैठाकर संपन्न हुआ और साथ ही सामान्य जनता के लिए दर्शन के द्वार खोल दिए गए| प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में दर्शन के लिए दूसरे दिन भक्तो की भारी भीड़ देखने को मिले| यह बताया जा रहा है कि दूसरे दिन करीब 5 लाख भक्त राम लला दर्शन किये और साथ ही इस भीड़ को सम्हालने के लिए प्रशासन को भी काफी मसक्कत करनी पड़ी| भक्त गड तीसरे दिन भी भारी संख्या में दर्शन के लिए लालायित है| इसलिए प्रशासन ने भी भीड़ का प्रबंधन करने के लिए कमर कस ली है,ताकि दर्शन के लिए आये रामभक्तों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो|
राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान की शुरुआत
सदियों के इंतजार के बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान होनी है| जिसकी योजना बन चुकी है| पुरे सप्ताह किस प्रकार राम लला का विधि-विधान के साथ पूजा की जाएगी| यह दिन पुरे देश में राममय भक्ति के साथ हर्षोउल्लास के साथ मनाया जायेगा| सभी देश वाशी अयोध्या में दिए जलने के साथ-साथ अपने घरों में भी दिए जलाएंगे| ऐसा नजारा जैसे दीवाली दुबारा पुरे देश में नजर आएगी| इसी के साथ 16 जनवरी से लेकर 22 जनवरी तक प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार की गई है| जिसके तहत पहले दिन यजमान के द्वारा पंचगव्य को चखकर व्रत की शुरुआत हुई| इसके साथ ही शिल्पकार अरुण योगिराज के द्वारा मूर्ति प्राप्त की गई और मूर्ति की पूजा हुई| भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना की गई और वैदिक परंपरा के अनुरूप भगवान की आँखों पर पट्टी बाँधी गई|
भगवान रामलला की मूर्ति की पूजा के लिए एक अद्भुत अनुष्ठान चौथे दिन किया गया। इस मौके पर, एक मंडप बनाया गया जहां अग्नि को प्रकट करने के लिए प्राचीन विधि का पालन किया गया। यह अनुष्ठान नवग्रह यज्ञ के साक्षी बना, जो अद्भुत था।
अग्नि को सुरक्षित कुंड में रखा गया और यज्ञ-हवन की शुरुआत हुई। मंडप में ही नवग्रह यज्ञ भी किया गया, जिसमें एक ग्रह के लिए 1008 आहुतियां दी गईं। इसमें औषधि, केसर, घृत (घी), और धान्य (अन्न) का उपयोग हुआ। इस अनुष्ठान में उद्योगपति महेश भागचंदक और उनकी संतानें भी शामिल हुईं। डॉ. अनिल मिश्र और उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा ने इस यज्ञ को मुख्य रूप से संचालित किया।
भगवान राम की पालकी
शनिवार को वेद मंत्रों और राम मंत्रों से यज्ञ की आहुति दी गई। पूजा का क्रम सुबह गणेश पूजन, पंचाग, वास्तु और मंडप पूजन से शुरू हुआ। मुख्य यजमान डॉ. अनिल कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी ने यज्ञ मंडप की प्रधान पीठ की पूजा की और संकल्प लिया।
इसके बाद, भगवान राम की भव्य पालकी निकली। इसमें भक्त संगीत और नृत्य का आनंद लिया गया। “श्रीराम जयराम, जय जय राम…”, “हर हर महादेव” के जयकार भी गूँजे। अबीर और गुलाल भी छोड़े गए। भगवान की पूजा के दौरान, यज्ञ मंडप के चार बार और पूरे प्रसाद का भ्रमण किया गया। यह सब एक अद्वितीय और अद्भुत वातावरण में हुआ। शर्कराधिवास, पुष्पाधिवास और फलाधिवास ने महसूस किया गया। भगवान को 81 कलशों के औषधीय जल से स्नान कराया गया।
रामलला की प्रतिष्ठा और भव्य मंदिर का आयोजन
रविवार को छठे दिन, प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ। प्रारंभ में, वैदिक मंगलाचरण से राजत चल विग्रह की पूजा की गई। यजमान के संकल्प को पूरा करने का विधान किया गया। इसके बाद, रामलला का भ्रमण भी किया गया।
पूरे दिन भर, परिसर में वेद मंत्रों और रामनाम के मंत्रों के साथ पूजा और हवन जारी रहा। पहले, यज्ञ मंडप के चारों कपाट, जो चार वेदों का प्रतीक हैं, की पूजा हुई। कुंडों में आचार्यों ने सामूहिक हवन किया। पूर्वाह्न में ही रामलला का मधु अधिवास हुआ।
शाम को, रामलला के विग्रह की शय्याधिवास का संस्कार किया गया। इस समय, अराध्य को शीशम के पलंग पर सुलाया गया। आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि रामलला विराजमान, रामलला की रजत प्रतिमा और श्यामवर्णी प्रतिमा, ये सभी एक साथ नव्य भव्य मंदिर में विराजित की जाएगी। आज, मध्य दिवस में, रामलला की प्रतिमा में प्रतिष्ठा का महत्वपूर्ण आयोजन होगा।
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