सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था,
तुम मुझे खून दो,
मै तुम्हें आजादी दूंगा।
आज मच्छर कह रहा है,
तुम मुझे खून दो
मैं अपना पेट भरूंगा।
गंदे नाले, पुराने बर्तन में ही हमारी जान है,
घर के टायर, गंदे नाले रोशनदान है।
मच्छर की बस एक ही मांग है,
तुम मुझे खून दो,
मै अपना पेट भरूंगा।
आप सब से मच्छर की हमेशा एक शिकायत रहती है
मच्छरदानी जो लगाते हो,
भूखा पेट सुलाते हो
मुझको इतना क्यों तड़पाते हो।
गाय को खिलाते हो,
कुत्ते को खिलाते हो (ये सब तुम्हारी तरह दुसरो का खून नहीं चूसते )
खुद भी खाते और सो जाते हो।
मुझे भूखा छोड़ पाप का भागी किसे बनाते हो
दो बून्द खून की क्यों नहीं पिलाते हो
तुम मुझे खून दो मै अपना पेट भरूंगा।
खून की एक बून्द पाने को सुई चुभाई है, जान गंवाई है
फिर होशियारी से भूख मिटाने की शिछा पाई है।
डेगूँ का प्रकोप चढ़ा है,
अब तो डेगूँ तेज़ बढ़ा है,
नहीं अगर सम्हले हो,
अब सम्हल जाओ।
गंदे नाले, पुराने बर्तन में भरा हुआ पानी बाहर जाओ फेक के आओ।
घर के टायर, गंदे नाले रोशनदान है।
मच्छर की बस एक ही मांग है,
तुम मुझे खून दो,
मै अपना पेट भरूंगा।