मान्यता के अनुसार, विश्व का पहला गुरुकुल जहां भगवान नारायण श्री कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त किया था, हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है। इस गुरुकुल का नाम “सन्दीपनी मुनि विद्यालय” था और यह मथुरा नगरी के पास राजकीय विश्रामगढ़ में स्थित था।
सन्दीपनी मुनि विद्यालय में, भगवान कृष्ण और उनके साथी बलराम ने गुरु सन्दीपनी मुनि से विविध शास्त्रों, योग, तंत्र, वेद और अन्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त किया। इस गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने के बाद, भगवान कृष्ण ने इस ज्ञान का उपयोग अपने जीवन में किया और अपनी दिव्य लीलाओं और उपदेशों के माध्यम से लोगों को प्रभावित किया।
यह गुरुकुल मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में स्थापित हुआ था और भगवान कृष्ण के युग में शिक्षा केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण था। यहां शिक्षा की गहराई और विस्तार के साथ-साथ आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा दिया जाता था।
इस गुरुकुल में छात्रों को न केवल शास्त्रीय ज्ञान दिया जाता था, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा भी प्रदान की जाती थी। छात्रों को ध्यान और मेधा को विकसित करने के लिए योग और ध्यान की शिक्षा भी दी जाती थी।
सन्दीपनी मुनि विद्यालय में छात्रों को गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ज्ञान प्रदान किया जाता था। छात्रों को गुरु के आदेशों का सम्मान करना और उनके संकल्पों का पालन करना सिखाया जाता था। छात्रों को शिष्यता, समर्पण, संयम, निष्ठा, और सेवा भाव को सीखाया जाता था।
इस गुरुकुल के माध्यम से भगवान कृष्ण ने न केवल अपने गुरु से ज्ञान प्राप्त किया, बल्कि उन्होंने भी छात्र के रूप में अपनी दृष्टि, उपास्यता, आचरण और जीवनशैली में सामर्थ्य को विकसित किया। इस गुरुकुल का स्थान भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसे एक महान शिक्षा संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है।