लिखा गया कुछ,उसे पढ़ा गया कुछ,
निराकार माटी को गढ़ा गया कुछ,
विस्तृत वितानों का छोटा ह्रदय,
सारे फकीरों को लूटने का भय।
गढ़ी कथा मैने भी स्वार्थ की,
दुनिया अलग है यथार्थ की।
![fish, underwater, corals](https://poetrybyashutosh.com/wp-content/uploads/2021/07/fish-underwater-corals-378286.jpg)
लिखा गया कुछ,उसे पढ़ा गया कुछ,
निराकार माटी को गढ़ा गया कुछ,
विस्तृत वितानों का छोटा ह्रदय,
सारे फकीरों को लूटने का भय।
गढ़ी कथा मैने भी स्वार्थ की,
दुनिया अलग है यथार्थ की।
पीड़ा की परिभाषा मुस्कान से पूछोगे,
तो लोग हँसेंगे ही।
निर्धन की व्यथा जाकर धनवान से पूछोगे,
तो लोग हँसेंगे ही।।