हम हारे जुआरी, हम अद्भुत भिखारी,
है झूठी सी पूजा, हम झूठे पुजारी।
फूलों से इतना डरे, चले शूल ढूँढ़ने।
शाखाये सम्भली नहीं, चले मूल ढूँढ़ने।।
![road, tree, rural](https://poetrybyashutosh.com/wp-content/uploads/2021/07/road-tree-rural-6470345.jpg)
हम हारे जुआरी, हम अद्भुत भिखारी,
है झूठी सी पूजा, हम झूठे पुजारी।
फूलों से इतना डरे, चले शूल ढूँढ़ने।
शाखाये सम्भली नहीं, चले मूल ढूँढ़ने।।