आओ प्यारे साथ हमारे
जनसेवा हित साँझ सकारे।
सम्यक संचय और निवेशन
जन-जन का ही हित संवर्धन
निगम नीति का उच्च लछ्य है
व्यक्ति और परिवारोत्थान।
आओ प्यारे साथ हमारे
जनसेवा हित साँझ सकारे।
सम्यक संचय और निवेशन
जन-जन का ही हित संवर्धन
निगम नीति का उच्च लछ्य है
व्यक्ति और परिवारोत्थान।
एक-एक पल बीता, एक-एक दिन बीत गये,
मास गये पल-पल कर औ’ कुछ साल गये,
कितने सूरज जन्मे और बड़े होकर
अपनी रक्तिम किरणे जग को दिया किये।
कितने सूरज उदित हुए फिर अस्त हुए;
अंतर के स्वर को दाबे सा मौन-मौन
लेकिन प्रश्न एक है,अब भी वहीं खड़ा,
दीवाली में दीप जले जब,
अँधियारा तब जाये हार,
घृर्णा-घृर्णा की धुंध छटे
बिखरे चारो ओर ही प्यार।
इक दिन ऐसा दीप जलेगा, मुझको यह विश्वास है,
कैसी है अनबूझ पहेली, कैसी अनमिट प्यास है