![group, team, balloons](https://poetrybyashutosh.com/wp-content/uploads/2021/08/group-team-balloons-464644-1024x724.jpg)
वीराने से एक सवाल,
सच बतलाना अपना हाल।
देखी दुनिया की ऐय्यारी,
अच्छो की ऊँची मक्कारी,
उजलेपन की घोर पराजय,
रंगो के ओछेपन की जय।
बहुत भला है अपना हाल,
छूटा तो जी का जंजाल।
रोज-रोज रोटी की विनती,
सुख के दिन आने की गिनती,
हाँ, कुछ जायज से प्रश्नोत्तर
कर देते थे रोज निरुत्तर।
बहुत भला है अपना हाल,
छूटा तो जी का जंजाल।
आँगन में उठती दीवारें,
रटी-रटायी चीख-पुकारें,
रिश्तो के अन्तस की पोल,
घर की ईंटे देंती खोल।
बहुत भला है अपना हाल
छूटा तो जी का जंजाल।