स्वर्ग-नरक
हैं। दुनिया का हर व्यक्ति इसका अनुभव करता है,पर समझता नहीं। यहीं स्वर्ग से सुख है और नरक जैसे दुःख भी। जिस समाज में शांति, सदभाव और भाईचारा है वहीं स्वर्ग है क्योंकि वहां सुख-समृद्धि है।
Year: 2021
कुछ सर्ग कामायनी जैसे फिर से धरती पर उतर गये,
फिर से जल प्लावन दृश्य पुराने इसी धरा पर उभर गये।
सम्बन्ध श्वास के औ’ तन के फिर से मन को तड़पाएँगे,
फिर से पुरवाई आयेगी, पर वे दिन लौट न पाएंगे।
मथुरा के राजा कंस बहुत ही क्रूर और अत्याचारी राजा था वह सभी वासियों पर जुर्म करता था। कंस की बहन देवकी थी और वह अपनी बहन देवकी की शादी महाराज वासुदेव से करता है और शादी होने के बाद जब बहन की विदाई करता है तो उसी समय आकाश से भविष्यवाड़ी होती है कि इसी देवकी के आठवे पुत्र के द्वारा तेरा वध निश्चित है।
घर से निकले अगर हम बहक जायेंगे
वो गुलाबी कटोरे छलक जायेंगे
दुश्मनी का सफर इक कदम दो कदम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जायेंगे
एक-एक पल बीता, एक-एक दिन बीत गये,
मास गये पल-पल कर औ’ कुछ साल गये,
कितने सूरज जन्मे और बड़े होकर
अपनी रक्तिम किरणे जग को दिया किये।
कितने सूरज उदित हुए फिर अस्त हुए;
अंतर के स्वर को दाबे सा मौन-मौन
लेकिन प्रश्न एक है,अब भी वहीं खड़ा,
तू चल, तेरे रास्ते को
तुझ जैसे राही का इंतजार है
जिस दायरे से सिमट रहा
वो दायरा बढ़ा ले तू
कब तक यूही सिमट सका
उस दायरे से आगे निकल ले तू
बस सम्हल ले तू,
सम्हल ले तू
कही किसी का शोर शराबा
कहीं किसी ने चुप्पी साधी
बस एक आंसू छलका दे तू
आंसू भी पैसे कमा के देती है
मैं अबाध गति हूँ, मैं अमर्त्य जीवन,
कजरी की शाश्वतता, अंतहीन सावन।
गहरी लम्बी सी निशा की मैं झनझन,
डूब रहा तिरता सा एक अकेला मन।
रुकती सी, चलती सी, खुशियाँ और वेदना,
मुझे मत रोकना।
कुछ मिलता, कुछ खो जाता है,
जगे कोई, कोई सो जाता है,
छीन अगर लेता है कुछ युग,
जीवन कुछ तो दे जाता है।
जीत-हार के जैसी थी।
नटखट बचपन,चंचल यौवन,दुःखी बुढ़ापे जैसी थी।
रामजी की धरती पर रावण की जीत
हँसती रहूं या फिर रो दूँ मैं रामजी?
राधा की धरती पर स्वारथ की प्रीत
जग जाऊँ कुछ छण या सो जाऊँ रामजी?