दीन-हीन भूख है,रोटी के तेवर हैं,
साँस-साँस गिरवी है,वहाँ नये जेवर हैं।
कौन सी तिजोरी में वह हिंदुस्तान है
जिसको सब कहते हैं भारत महान है।।
चेहरा पैबंद लगे घूँघट की ओट में,
अधनंगी लज्जा है बैठी है बोट में,
उन ताजा फूलों के मुरझाने का डर है,
कृत्रिम फूलों का गुलदस्ता यह घर है।
थिरक रहा किस डिस्को में हिंदुस्तान है,
जिसको सब कहते हैं भारत महान है।।
गाँधी की फोटो लगी उस कचहरी में,
सच की वकालत है गूंगी में,बाहरी में।
नयी-नयी नीति जना करती वह राजनीति,
लाखों बेकारों की गढ़ती ये काजनीति।
किस दल के झण्डे में वह हिंदुस्तान हैं,
जिसको सब कहते हैं भारत महान है।।
मूंगफली बेंच रही भारत की नयी आस
प्लेट मांज रही यहाँ सपनो की साँस-साँस,
उंगली की इंगिति पर दौड़ रहा है बचपन,
क्या-क्या ढ़ो पायेगा यह भोला दुर्बल तन।
किस ढाबे पर सोया वह हिंदुस्तान है,
जिसको सब कहते हैं भारत महान है।।
चेतना पाण्डेय